शतरंज ओलंपियाड 2024 में गोल्ड मेडल जीतने वाली गर्ल Vantika Agrawal कौन है जाने उनके बारे में
वंतिका अग्रवाल: नोएडा की बेटी ने शतरंज ओलंपियाड में रचा इतिहास
हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में आयोजित 49वें शतरंज ओलंपियाड में भारत ने एक ऐतिहासिक जीत हासिल की है। इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता में भारत की महिला और पुरुष दोनों टीमों ने स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया है। इस अद्वितीय उपलब्धि में नोएडा की वंतिका अग्रवाल का विशेष योगदान रहा है। वंतिका ने महिलाओं के बोर्ड-4 पर खेलते हुए न केवल अपनी टीम को स्वर्ण पदक दिलाने में मदद की, बल्कि व्यक्तिगत रूप से भी गोल्ड मेडल जीता। इस सफलता ने भारतीय शतरंज के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा है।
संगीता साए की तरह रहती हैं बेटी के साथ
नोएडा के सेक्टर-27 में रहने वाली वंतिका अपनी मां संगीता अग्रवाल की बेहद लाडली हैं। वंतिका की सफलता में उनकी मां की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही है। पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट संगीता अपनी बेटी के खेल प्रबंधक की भूमिका निभाती हैं। उन्होंने वंतिका के लिए अपने करियर की परवाह नहीं की और हर प्रतियोगिता में साए की तरह उनके साथ रहती हैं। संगीता ने यह सुनिश्चित किया कि वंतिका को हर संभव समर्थन मिले, चाहे वह मानसिक हो या भावनात्मक।
माँ के जन्मदिन पर मिला पहला ग्रैंड मास्टर नॉर्म
यह भी एक सुखद संयोग है कि वंतिका को पहला ग्रैंड मास्टर नॉर्म अपनी मां के जन्मदिन पर मिला था और दूसरा अपने पिता के जन्मदिन पर। यह उनके परिवार के लिए गर्व का क्षण था। संगीता हमेशा वंतिका का हौसला बढ़ाती हैं और हार के समय कभी गुस्सा नहीं करतीं, बल्कि उन्हें गले लगाकर दिलासा देती हैं। वंतिका बताती हैं कि शुरू में हारने पर उन्हें बहुत गुस्सा आता था और नींद में भी वे बड़बड़ाती थीं, लेकिन उनकी मां उन्हें संभाल लेती थीं। समय के साथ वंतिका ने अपनी परिपक्वता को विकसित किया और अब वे मैच्योर हो चुकी हैं।
वंतिका की उपलब्धियाँ
वंतिका अग्रवाल की इस जीत ने उन्हें शतरंज की दुनिया में एक नई पहचान दिलाई है। उनकी मेहनत और समर्पण ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया है। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा के दौरान ही शतरंज में गहरी रुचि दिखाई और अपने प्रदर्शन से सभी को प्रभावित किया। उनकी इस जीत ने न केवल उनके परिवार को गर्व महसूस कराया है, बल्कि देश के युवाओं के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनी है।
भारतीय शतरंज के लिए मील का पत्थर
इस ऐतिहासिक जीत ने भारतीय शतरंज के लिए एक मील का पत्थर स्थापित किया है। वंतिका और उनकी टीम की सफलता ने यह साबित कर दिया है कि भारतीय खिलाड़ी भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा सकते हैं। यह जीत न केवल भारत के लिए बल्कि पूरे शतरंज समुदाय के लिए गर्व का विषय है।वंतिका अग्रवाल की इस सफलता के पीछे उनके परिवार का समर्थन और उनके स्वयं का समर्पण मुख्य हैं। यह कहानी उन सभी के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को साकार करने की दिशा में प्रयासरत हैं। वंतिका की यह यात्रा निश्चय ही आने वाले समय में और भी ऊँचाइयों को छुएगी।