नौकरी की शुरुआत के साथ ही फाइनेंशियल प्लानिंग करना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। चाहे आप कितनी भी छोटी राशि से शुरुआत करें, सही निवेश के साथ लंबे समय में बड़ा फायदा उठाना संभव है। अगर आप नौकरी लगते ही हर महीने सिर्फ 1,000 रुपये की सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) से निवेश की शुरुआत करते हैं, तो रिटायरमेंट तक 1 करोड़ रुपये तक का फंड तैयार कर सकते हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे यह संभव है और किस तरह का कैलकुलेशन किया जा सकता है।
SIP (सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) क्या है?
SIP एक ऐसी निवेश विधि है, जहां आप नियमित अंतराल पर एक निश्चित राशि निवेश करते हैं। इस योजना के तहत, आप हर महीने या तिमाही एक निश्चित राशि किसी म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं। SIP की खासियत यह है कि यह एक व्यवस्थित और अनुशासित निवेश होता है, जहां बाजार की उतार-चढ़ाव से आपको फायदा होता है और आपका निवेश लंबी अवधि में बड़ा रिटर्न देता है।
1,000 रुपये की SIP से कैसे मिलेंगे 1 करोड़ रुपये?
1,000 रुपये की छोटी राशि से भी आप लंबी अवधि में बड़ा रिटर्न कमा सकते हैं। यहां हम देखेंगे कि कैसे 1 करोड़ रुपये का फंड संभव हो सकता है:
1. निवेश की अवधि:
अगर आप अपनी नौकरी की शुरुआत में 1,000 रुपये की SIP करना शुरू करते हैं और लगातार इसे 35 से 40 साल तक जारी रखते हैं, तो कंपाउंडिंग के कारण आपका फंड बढ़ता रहेगा।
2. औसत रिटर्न:
म्यूचुअल फंड SIP पर औसतन 12% से 15% का वार्षिक रिटर्न मिलता है। मान लीजिए कि अगर आपका SIP 12% का वार्षिक रिटर्न देता है, तो लंबे समय में यह एक बड़ी राशि बन सकता है।
3. कैसे होगा कैलकुलेशन:
यदि आप 25 साल की उम्र में SIP शुरू करते हैं और इसे 35 साल तक जारी रखते हैं, तो आपका कुल निवेश 1,000 रुपये * 12 महीने * 35 साल = 4,20,000 रुपये होगा।
12% की दर से औसत रिटर्न पर, 35 साल के बाद आपके पास लगभग 1 करोड़ रुपये का फंड तैयार हो सकता है।
यह कैलकुलेशन कंपाउंडिंग के फॉर्मूले पर आधारित है, जिसमें आपका रिटर्न हर साल आपके निवेश के साथ-साथ पिछले रिटर्न पर भी मिलता है। कंपाउंडिंग की ताकत लंबी अवधि में आपको बड़ा फायदा पहुंचाती है।
SIP के फायदे:
छोटे निवेश, बड़ा लाभ: SIP की सबसे बड़ी खासियत यह है कि आप छोटी राशि से भी निवेश की शुरुआत कर सकते हैं। यह आपको अनुशासन में रहकर निवेश करने की आदत सिखाता है।
रुपया लागत औसत (Rupee Cost Averaging): SIP के तहत आप नियमित रूप से निवेश करते हैं, जिससे बाजार के उतार-चढ़ाव का आपके निवेश पर बहुत असर नहीं पड़ता। जब बाजार नीचे होता है, तो आप अधिक यूनिट्स खरीदते हैं, और जब बाजार ऊपर होता है, तो कम यूनिट्स। इस प्रक्रिया को रूपया लागत औसत (Rupee Cost Averaging) कहा जाता है।
कंपाउंडिंग का जादू: जितनी जल्दी आप निवेश की शुरुआत करेंगे, उतना ही ज्यादा फायदा आपको कंपाउंडिंग का मिलेगा। कंपाउंडिंग के जरिए आपके निवेश पर रिटर्न से अधिक रिटर्न मिलता है।
लचीलापन: SIP निवेश में आपको लचीलापन मिलता है। आप अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार कभी भी राशि बढ़ा या घटा सकते हैं। साथ ही, आप चाहें तो SIP रोक भी सकते हैं।