दिग्गज कारोबारी रतन टाटा का 86 साल की उम्र में निधन, ब्रीच कैंडी अस्पताल में ली अंतिम सांस
रतन टाटा का निधन: भारत के दिग्गज उद्योगपति और टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन, रतन टाटा, का 86 वर्ष की उम्र में मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में निधन हो गया। बुधवार, 09 अक्टूबर 2024 को उन्होंने अंतिम सांस ली। उम्र से संबंधित बीमारियों के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन उनकी हालत लगातार बिगड़ती चली गई, और आखिरकार उनका निधन हो गया।
अस्पताल में भर्ती और स्वास्थ्य की स्थिति
रतन टाटा को अचानक से ब्लड प्रेशर में गिरावट के चलते सोमवार को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इसके बाद उनकी स्थिति और गंभीर हो गई और उन्हें गहन चिकित्सा इकाई (ICU) में शिफ्ट कर दिया गया। डॉक्टरों ने उनकी स्थिति पर लगातार निगरानी रखी, लेकिन मंगलवार रात उनकी हालत काफी नाजुक हो गई, जिसके बाद बुधवार सुबह उनके निधन की पुष्टि की गई।
दो दिन पहले किया था सोशल मीडिया पोस्ट
दिलचस्प बात यह है कि रतन टाटा ने दो दिन पहले, यानी 7 अक्टूबर को एक सोशल मीडिया पोस्ट में अपनी सेहत को लेकर चल रही अफवाहों का खंडन किया था। उन्होंने कहा था कि वह सिर्फ नियमित जांच के लिए अस्पताल में भर्ती हैं और चिंता की कोई बात नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया था कि उनके फॉलोअर्स और प्रशंसक इस बारे में परेशान न हों।
रतन टाटा ने अपने अंतिम सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा था, "मैं वर्तमान में अपनी आयु-संबंधी चिकित्सा स्थितियों के कारण चिकित्सा जांच करवा रहा हूं। चिंता का कोई कारण नहीं है। मैं अच्छे मूड में हूं।" उन्होंने जनता और मीडिया से यह भी अनुरोध किया था कि वे गलत सूचना न फैलाएं। लेकिन अचानक से उनकी तबीयत बिगड़ने के बाद यह दुखद समाचार सामने आया।
रतन टाटा की बीमारी
रतन टाटा लंबे समय से कुछ उम्र संबंधी स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे थे, जिनमें विशेष रूप से ब्लड प्रेशर में उतार-चढ़ाव की समस्या शामिल थी। सोमवार को उनके ब्लड प्रेशर में अचानक गिरावट आई, जिसके बाद उन्हें तत्काल अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों की टीम ने उनकी स्थिति को नियंत्रित करने की पूरी कोशिश की, लेकिन उनका स्वास्थ्य लगातार गिरता गया।
टाटा ग्रुप के चेयरमैन के रूप में रतन टाटा का योगदान
रतन टाटा का भारतीय उद्योग और टाटा ग्रुप के विकास में अविस्मरणीय योगदान है। उन्होंने 1991 में टाटा ग्रुप के चेयरमैन का पदभार संभाला और 2012 में रिटायर होने तक इस पद पर बने रहे। उनके नेतृत्व में टाटा ग्रुप ने न सिर्फ भारतीय बाजार में अपनी स्थिति मजबूत की, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनाई।
1996 में उन्होंने टाटा टेलीसर्विसेज की स्थापना की, जिसने टाटा समूह को दूरसंचार क्षेत्र में विस्तार करने में मदद की। इसके अलावा, उन्होंने टेटली, कोरस, और जगुआर लैंड रोवर जैसी कंपनियों का अधिग्रहण किया, जिससे टाटा ग्रुप एक घरेलू कंपनी से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने वाली प्रमुख कंपनी बन गई।
टाटा ग्रुप का वैश्विक विस्तार
रतन टाटा के कार्यकाल के दौरान, टाटा समूह ने अपनी व्यवसायिक क्षमता को बढ़ाया और वैश्विक स्तर पर बड़ी उपलब्धियां हासिल कीं। उनके नेतृत्व में, टाटा ग्रुप ने कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियों का अधिग्रहण किया, जिससे वह एक 100 बिलियन डॉलर से अधिक मूल्य का वैश्विक व्यापार साम्राज्य बन गया।
रतन टाटा ने टाटा ग्रुप को वैश्विक पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने हमेशा नवाचार और उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों को प्राथमिकता दी। उनके नेतृत्व में, टाटा समूह ने कई नए क्षेत्रों में प्रवेश किया और न सिर्फ व्यापारिक बल्कि समाजिक जिम्मेदारियों का भी निर्वहन किया।
2012 में रिटायरमेंट और साइरस मिस्त्री का पदभार
दिसंबर 2012 में रतन टाटा ने अपने पद से रिटायरमेंट लिया और उनके उत्तराधिकारी के रूप में साइरस मिस्त्री को टाटा ग्रुप का नया चेयरमैन नियुक्त किया गया। हालांकि, साइरस मिस्त्री का कार्यकाल विवादों से भरा रहा और 2022 में उनकी एक दुखद कार दुर्घटना में मृत्यु हो गई।
रिटायरमेंट के बाद भी रतन टाटा उद्योग जगत से जुड़े रहे और अपने अनुभव और सलाह से टाटा ग्रुप को मार्गदर्शन देते रहे। वे विभिन्न सामाजिक और व्यापारिक पहलों के लिए सक्रिय रहे, जिसमें मुख्य रूप से टाटा ट्रस्ट्स के तहत काम करने वाले सामाजिक प्रोजेक्ट्स शामिल थे। रतन टाटा के नेतृत्व और उनके द्वारा स्थापित मानकों ने टाटा ग्रुप को आज एक प्रमुख स्थान दिलाया है।
रतन टाटा का व्यक्तित्व और विरासत
रतन टाटा को सिर्फ एक उद्योगपति के रूप में नहीं, बल्कि एक मानवतावादी और दूरदर्शी नेता के रूप में भी जाना जाता है। उनके नेतृत्व में, टाटा ग्रुप ने सिर्फ मुनाफा कमाने पर ध्यान नहीं दिया, बल्कि उन्होंने समाज के विकास और मानव सेवा के लिए भी कई महत्वपूर्ण पहल कीं।
रतन टाटा ने हमेशा उद्योग जगत में नैतिकता और समाजिक जिम्मेदारी को प्राथमिकता दी। उनके नेतृत्व में, टाटा ग्रुप ने कई सामाजिक और पर्यावरणीय मुद्दों पर काम किया। वे गरीब और जरूरतमंदों की मदद करने के लिए हमेशा तत्पर रहे और उन्होंने कई परोपकारी कार्यों में योगदान दिया।
रतन टाटा को उनकी सादगी और विनम्रता के लिए भी जाना जाता है। उन्होंने हमेशा खुद को एक आम इंसान के रूप में प्रस्तुत किया और अपनी उपलब्धियों को कभी भी अपने व्यक्तित्व पर हावी नहीं होने दिया। वे उद्योग जगत में एक प्रेरणा स्रोत रहे और उनकी विरासत हमेशा जिंदा रहेगी।
टाटा ट्रस्ट्स और परोपकारी कार्य
रतन टाटा ने अपने कार्यकाल के दौरान सिर्फ व्यापारिक सफलताओं पर ध्यान नहीं दिया, बल्कि उन्होंने सामाजिक जिम्मेदारियों का भी पूरा पालन किया। उन्होंने टाटा ट्रस्ट्स के तहत कई परोपकारी कार्यों को आगे बढ़ाया। शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण संरक्षण, और ग्रामीण विकास जैसे क्षेत्रों में टाटा ट्रस्ट्स ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
रतन टाटा ने हमेशा समाज के वंचित तबके की मदद के लिए कदम उठाए। उन्होंने ऐसे कई प्रोजेक्ट्स को समर्थन दिया जो समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में काम करते हैं। उनके परोपकारी कार्यों ने न सिर्फ भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी प्रभाव डाला है।
अंतिम विदाई
रतन टाटा का निधन भारत और दुनिया भर के उद्योग जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनके नेतृत्व, दूरदर्शिता, और समाज सेवा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने उन्हें सिर्फ एक उद्योगपति नहीं, बल्कि एक महान नेता और प्रेरणास्त्रोत बनाया है। उनका योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मिसाल रहेगा।
रतन टाटा की अंतिम यात्रा के लिए देश और दुनिया भर से कई बड़े नेता, उद्योगपति, और प्रशंसक पहुंचे। उनके निधन की खबर से पूरा देश शोक में डूब गया है, और सोशल मीडिया पर लोग उनके प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त कर रहे हैं।
रतन टाटा की यह विरासत सदैव जीवित रहेगी, और उनके द्वारा स्थापित उच्च मानक भारतीय उद्योग जगत और समाज को मार्गदर्शन देते रहेंगे।