अयोध्या दीपोत्सव: गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुए दो अद्वितीय रिकॉर्ड


दीपोत्सव का पर्व इस वर्ष अयोध्या में विशेष रूप से ऐतिहासिक बन गया, जिसमें दो नए रिकॉर्ड गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुए। यह दीपोत्सव अद्वितीय इसलिए था क्योंकि अयोध्या की पवित्र भूमि पर इस बार कुल 25 लाख 12 हजार 585 दीये जलाए गए। यह दीपों की अनोखी जगमगाहट अपने आप में एक भव्य रिकॉर्ड बना। इसके साथ ही 1121 अर्चकों ने एकसाथ सरयू महाआरती में हिस्सा लिया, जो एक और रिकॉर्ड बना।

इस वर्ष के दीपोत्सव में योगी सरकार ने विशेष पहल करते हुए रामलला की उपस्थिति में एक अद्वितीय आयोजन किया, जहां 1121 वेदाचार्यों ने एकसाथ सरयू मैया की आरती की। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सरयू नदी के तट पर आयोजित इस महाआरती में सम्मिलित होकर इसे और भी अलौकिक बना दिया। आरती में शामिल सभी वेदाचार्य एक समान रंग के वस्त्रों में एक स्वर में सरयू मैया की आराधना करते दिखे, जो एकता, आस्था और भक्ति का अद्वितीय संगम था। इस आयोजन ने न केवल अयोध्या की धार्मिक और सांस्कृतिक गरिमा को बढ़ाया, बल्कि जनमानस में योगी सरकार की छवि को भी निखारा।


रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के बाद प्रथम दीपोत्सव में उल्लास


इस दीपोत्सव का महत्व इसलिए भी बढ़ गया क्योंकि यह रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अयोध्या में मनाया जाने वाला पहला दीपोत्सव था। रामनगरी के संत-महंत और स्थानीय लोग इस पर्व को लेकर विशेष रूप से उल्लासित रहे। उनके अनुसार, इस दीपोत्सव ने त्रेता युग की यादें ताजा कर दीं। संत समाज का मानना था कि यह पर्व भगवान श्रीराम के प्रति अपनी आस्था और श्रद्धा व्यक्त करने का एक अद्वितीय अवसर है। इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के योगदान की सराहना की और धन्यवाद दिया।

संत समाज ने योगी सरकार का आभार प्रकट करते हुए कहा कि अयोध्या की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को पुनः संजीवित करने में योगी सरकार और केंद्र सरकार का विशेष योगदान है। श्रीरामलला के पुनः अपने धाम में विराजमान होने की इस दिव्य घड़ी को लेकर पूरे संत समाज में प्रसन्नता का माहौल है। दशरथ महल के महंत बिंदु गद्याचार्य स्वामी देवेंद्र प्रसादाचार्य ने इसे सनातन धर्म की अमूल्य धरोहर बताया और कहा कि दीपावली और दीपोत्सव सनातन धर्म के मूल स्तंभ हैं।


आध्यात्मिकता और अनूठे आयोजनों का संगम


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति ने इस आयोजन को और भी भव्य बना दिया। दीपोत्सव में शामिल होने वाले वेदाचार्य एक ही रंग के वस्त्रों में थे, जो सांकेतिक रूप से एकता और समानता का संदेश दे रहे थे। एक स्वर में सरयू मैया की आरती करते हुए इन वेदाचार्यों ने आध्यात्मिकता का ऐसा रंग बिखेरा, जो जनमानस को मोहित कर गया। इस अनूठे आयोजन ने न केवल जनता के मन में श्रद्धा और विश्वास का भाव बढ़ाया, बल्कि योगी सरकार के प्रति जनता की आस्था को भी सुदृढ़ किया।

इस आयोजन के दौरान गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स की आधिकारिक घोषणा भी की गई। रिकॉर्ड्स में दर्ज इन उपलब्धियों से उत्तर प्रदेश और भारत की संस्कृति और विरासत को वैश्विक पहचान मिली है। यह आयोजन अयोध्या की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को विश्वभर में एक नई पहचान दिला रहा है।


रामलला का विशेष महत्व और संत समाज का आभार


रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद मनाए गए पहले दीपोत्सव में संत समाज विशेष रूप से आभारी रहा। उन्होंने इस अवसर को अद्वितीय बताया, जिससे उनका कहना था कि इस दीपोत्सव ने त्रेता युग की छवि को पुनर्जीवित किया है। दशरथ महल के महंत बिंदु गद्याचार्य स्वामी देवेंद्र प्रसादाचार्य ने इसे सनातन धर्म की धरोहर बताते हुए कहा कि इस दीपोत्सव में प्रभु श्रीराम के प्रति आस्था और श्रद्धा का विशेष अवसर मिला है।

संत समाज ने केंद्र और प्रदेश सरकार को अयोध्या की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को पुनः स्थापित करने के लिए धन्यवाद दिया। उनके अनुसार, इस प्रकार के भव्य आयोजन संत समाज के आंतरिक संतोष और धर्म के प्रति प्रेम को प्रकट करते हैं। बधाई भवन मंदिर के महंत राजीव लोचन शरण महाराज ने कहा कि त्रेता युग में श्रीराम के अयोध्या आगमन पर जो दिव्य दृश्य था, वह आज फिर हमारे सामने है।


काव्यात्मक भावनाओं के माध्यम से संतों की भावना


चौबुर्जी मंदिर के महंत बृजमोहन दास ने दीपोत्सव को लेकर अपनी रचित पंक्तियों के माध्यम से अपनी भावनाओं को प्रकट किया। उन्होंने कहा कि श्रीरामलला के अयोध्या में विराजमान होने से न केवल संत समाज, बल्कि अयोध्या की पूरी जनता गर्व महसूस कर रही है और दीपोत्सव में जोश और उत्साह के साथ भाग ले रही है। इस दीपोत्सव ने अयोध्या में एक बार फिर से वही दिव्य दृश्य प्रस्तुत किया है, जो त्रेता युग में श्रीराम के अयोध्या आगमन के समय देखने को मिला था।

इस प्रकार, इस बार का अयोध्या दीपोत्सव न केवल एक धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन रहा, बल्कि यह आस्था, श्रद्धा, और जन-जन की भक्ति का संगम भी था। इसमें सम्मिलित होकर जनता ने इसे अपने लिए सौभाग्यशाली अवसर माना और सरकार द्वारा किए गए इस ऐतिहासिक कार्य के लिए आभार व्यक्त किया।